Gramin chikitsak objective : ग्रामीण चिकित्सक इंपोर्टेंट क्वेश्चन एवं आंसर 2024 एग्जाम

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प्रश्न ६. नवजात शिशु की देख-भाल की विस्तार से चर्चा कीजिए।

उत्तर :- योनि से बाहर आने के पश्चात निम्नताप से बचाव :- नवजात शिशु  कोहाइपोथर्मिया का खतरा रहता है इसके निवारण के लिए :-

१. नवजात शिशु को मां के निकट सम्पर्क में रखे।

२. मौसम के अनुसार नवजात शिशु को चिकित्सीय रूई या गर्म कपड़े में लपेट कर रखे।

३. मौसम के अनुसार कमरे को उपयुक्त रूप से गर्म रखे।

स्नान :- नवजात शिशु को जन्म के तत्काल पश्चात नहलाने से हाइपोथर्मिया का

खतरा उत्पन्न हो सकता है। शिशु को १२से २४ घंटों के पश्चात नहलाएं। यदि जन्म के

समय शिशु का भार कम हो तो स्नान के समय में और अधिक अंतर रखें। कपड़े :-

शिशु को मौसम क अनुसार नरम सूती तथा धुले हुए कपड़े पहनाएं। कपड़ों को धूप में

सुखाएं। आंखो की देखरेख :- आंखों की नरम सूती कपड़े से साफ करें तथा भीतर से

बाहर की ओर साफ करें। प्रतिरक्षण :- यदि बच्चे की तबियत खराब हो तो भी

प्रतिरक्षण से इनकार न करें। मां को सलाह दे कि वह स्वास्थ्य केन्द्र के निर्देशानुसार

बच्चे को प्रतिरक्षण (टीकाकरण) कराए। अर्जनी की देखरेख :-अर्जनी से किसी

प्रकार के रक्त स्त्रवण की स्थिति मे तत्काल अस्पताल ले जाए। बच्चे को सूखा साफ

रखे। उस स्थान पर कोई दवा न लगाए। सामान्यतः अर्जनी एक सप्ताह में अलग हो

जाती है। विशिष्ट रूप से स्तनपान की सलाह दे। किसी प्रकार का पानी या डिब्बाबंद

पेय पदार्थ न दे।

प्रश्न ७. मां की प्रसवोत्तर देखरेख के बारे में लिखिए।

प्रसवोत्तर अवधि के प्रथम कुछ घंटे व दिन महत्वपूर्ण होते है। किसी प्रकार की समस्या का पता लगाने के लिए यथा संभव शीघ्र मां का मूल्यांकन करें तथा किसी प्रकार की असामान्यता के लक्षण नजर आने पर उसे तत्काल अस्पताल भेजें।

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१. सामान्य स्थिति तथा चेहरे के भावों का अवलोकन करें ताकि पीड़ा या रक्त स्त्रवण या थकान के कारण किसी प्रकार की असुविधा का पता लगाया जा सके।

२. नींद एव विश्राम प्रदान करने के लिए मां को गर्म पेय पदार्थ दे तथा उसे उपयुक्त रूप से सोने दें।

३. बच्चे की त्वचा को मां की त्वचा के सम्पर्क मे लाकर तथा स्तनपान आरंभ कराकर बच्चे के प्रति उसके भावात्मक जुड़ाव को विकसित करेन में सहयोग दे। लोकिया (जो प्रसूति के पश्चात योनि स्त्राव) का ६ से १० दिनों तक अवलोकर करें लाल रंग के स्त्राव का रंग गुलाबी होने लगता है और तत्पश्चात यह बंद हो जाता है। व्यक्तिगत रूप से महिलाओं में इसकी अवधि भिन्न-भिन्न हो सकती है। किसी प्रकार के स्त्राव या सूजन या किसी संक्रमण के लिए पैरीनियम का अवलोकन करे।

१. प्रमुख संकेतों का अवलोकन करें जैसे तापमान, स्पन्दन, श्वसन तथा रक्तचाप, इनमें किसी प्रकार के परिवर्तन की स्थिति में स्वास्थ्य केन्द्र से सम्पर्क करे।

२. स्तनों में किसी प्रकार की कठोरता, दूध की अतिपूर्णता या किसी असामान्यता के लिए स्तनों की जांच कीजिए।

३. यदि दूध निप्पल या उसके आसपास एकत्र होता है तो वहां पपड़ी बन जाती है और रक्तस्त्राव आरंभ हो जाता है। इसलिए निप्पल को काले कपड़े से साफ करे। बच्चे को दूध पिलाने से पूर्व स्तनों को गुनगुने साफ पानी से धो लें। व्यक्तिगत स्वच्छता :-

१. माँ को रोज साबुन व पानी से स्नान करनना चाहिए तथा साफ कपड़े पहनने चाहिए।

२. स्तनों को अच्छी तरह से धोएं तथा उन्हें साफ रखें। ३. संक्रमण से बचने के लिए पैरीनियम को यथा संभव बार-बार साफ करें पोषण :-

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१. स्तनपान कराने वाली मां को अपने सामन्य आहार से अधिक आहार खाना चाहिए।

२. अपने आहार में स्थानीय स्तर पर उपलब्ध मौसमी फल, भोजन, सब्जियों तथा दूध को शामिल करे।

३. प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करे।

प्रश्न ८. स्तन पान कराने के ४ लाभ लिखे।

स्तन पान के लाभ :- १. यह एक महत्वपूर्ण आहार है जिसमें शिशु के लिए उपयोगी समस्त पोषक तत्व समाहित होते है। २. सही तापमान पर उपलब्ध होता है तथा सहज पाच्य है। ३. शिशुओं को संक्रमण एवं एलर्जी से सुरक्षित रखता है।

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४. शिशु एवं मां के बीच अंतरंगता एवं अपनत्य बोध विकसित होता है।

प्रश्न ९. बोलत द्वारा दुग्ध-पान के चार अवगुण बताएं।

उत्तर :- बोलत के दूध के खतरे :-

१. समस्त पोषक तत्व उपलब्ध नहीं होते

२. सभी नवजात शिशुओं को सुगमता से पच नहीं पाता।

३. इसका कारण अतिसार एवं श्वसन संबंधी संक्रमण को सकता है।

४. अतरंगता एवं अपनत्व स्थापित नहीं हो पाता क्योंकि बोतल से दूध तो कोई भी पिला सकता है।

प्रश्न १०. ऐसी दो विषम परिस्थितियों के बारें में बताएं जिनमें स्तन पान कराना निषिद्ध होता है।

उत्तर :- १. कैंसर :- स्तनपान नहीं कराना चाहिए। २. उच्च ज्वर :- स्तन-पान न कराएं

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प्रश्न ११. अवरूद्ध नलिका तथा दरकदार निप्पलों के लिए दो निवारक उपाय बताएं।

उत्तर :- १. माँ को स्तन पान की आवृति बढ़ानी चाहिए।

२. स्तन पान कराते समय सही स्थिति में स्वयं रहने तथा शिशु को रखने हेतु मां को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

३. स्तन पान कराने के पूर्व और पश्चात स्तनों निप्पल की ओर हल्के हाथ से मालिश करना चाहिए।

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